SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 381
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 288 ] किया गया 42 चित्रों का संग्रह। (यह प्रदर्शन और प्रचार के लिए भी उपयोगी है।) १३-'पेपर कटिंग कला' पद्धति में पूर्णप्राय 'भगवान् श्रीमहावीर' के 30 जीवन प्रसंगों का कलासम्पुट / (यह सम्पुट भी भविष्य में मुद्रित होगा।) १४-इनके अतिरिक्त मुख्यरूप से भगवान् श्री आदिनाथ, श्री शान्तिनाथ, श्रीनेमिनाथ और श्री पार्श्वनाथ इन चार तीर्थङ्करों के (और साथ ही साथ अवशिष्ट सभी तीर्थङ्करों के जीवन-प्रसङ्गों के) नए चित्र चित्रित करने का कार्य (द्वितीय चित्रसम्पुट की तैयारी के लिए) तीन वर्ष से चल रहा है। लगभग 30 से 40 चित्रों में यह कार्य पूर्ण होगा / भगवान् श्रीपार्श्वनाथ का जीवन तो चित्रित हो चुका है तथा भगवान् श्री आदिनाथ जी का जीवन-चित्रण चल रहा है। यह दूसरा चित्र सम्पुट मुद्रण-कला की विशिष्ट-पद्धति से तैयार किया जाएगा। -भगवान् श्रीमहावीर के चित्रसम्पुट में कुछ प्रसंग शेष हैं वे भी तैयार किए जाएंगे अथवा तो पूरा महावीर-जीवन चित्रित करवाया जाएगा। १५-हाथी दांत, चन्दन, सुखड़, सीप, काष्ठ आदि के माध्यमों पर जिनमूर्तियाँ, गुरुमूर्तियाँ, यक्ष-यक्षिणी, देव-देवियों के कमल, बादाम डिब्बियाँ, काजू, इलायची, मुंगफली, मुंगफली के दाने, छुहारा, चावल के दाने तथा अन्य खाद्य पदार्थों के प्राकारों में तथा अन्य अनेक आकारों की वस्तुओं में पार्श्वनाथ जी, पद्मावती आदि देव-देवियों की प्रतिकृतियाँ बनाई गई हैं। तथा मुनिजी ने कला को प्रोत्साहन देने और जैन-समाज कला के प्रति अनुरागी बने इस दृष्टि से अनेक जैनों के घर ऐसी वस्तुएँ पहुँचाई भी हैं। इसके लिए बम्बई के कलाकारों को भी आपने तैयार किया है, जिसके परिणामस्वरूप अनेक साधु, साध्वीजी, श्रावक और श्राविकाओं को मनोरम बादाम, कमल आदि
SR No.004396
Book TitleStotravali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay
PublisherYashobharati Jain Prakashan Samiti
Publication Year1975
Total Pages384
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, P000, & P055
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy