________________ [ 256 है उससे लोग ऐसा समझते हैं कि यहाँ के लोग कलि-प्रिय कलह करनेवाले हैं किन्तु वस्तुतः वे ऐसे नहीं हैं क्योंकि वे तो स्वाध्याय आदि करते हुए उच्चस्वर से बोलते हैं। अतः विद्वान् लोग तो यही कहते हैं कि यह ऋषि-स्थान=मुनियों की आवासभूमि है // 17 // स्पर्धानुबन्धतो यत्र मल्लयुद्धविधित्सया। प्राह्वयन्ति सुरावासानुत्पताकाकरा गृहाः // 18 // जिस नगर में ऊँचे-ऊँचे भवन अपने पताकारूप हाथों से देवताओं के स्वर्गस्थ भवनों को स्पर्धापूर्वक उनसे मल्लयुद्ध कुश्ती करने के लिये बुलाते हैं // 18 // त्रिलोकोलोकसन्त्रासहरणायेव निर्मिताः / .. यत्र चैत्यमयी भाति व्यक्तरत्नत्रयीमयी // 16 // . जिस नगर में ज्ञान, दर्शन और चारित्ररूप तीनों रत्नोंवाली चैत्यत्रयी=(तोन जैनमन्दिर) शोभित होती है जो कि ऐसी प्रतीत होती है मानों तीनों जगत् के लोगों के भय को दूर करने के लिये बनाई गई हो // 16 // विज्ञप्तियोजना तस्मात् सिद्धपुरद्रङ्गाद्रामासङ्गोल्लसज्जनात् / प्रानन्दकन्दलोद्भेद-लसद्रोमाञ्चकञ्चुकः // 20 // स्नेह-विस्मेरनयनो भक्तिसम्भ्रमभासुरः / विनयादिगुणव्यासोल्लसत्सम्बन्धबन्धुरः // 21 // तरणिप्रमितावर्तेरावतैरभिवन्द्य च। विज्ञप्ति कुरुते व्यक्तां नयादिविजयः शिशुः // 22 // धनी लोगों से शोभित उस सिद्धपुर नगर से आनन्दरूपी कन्द की