________________ [ 4 // श्रीशर्खेश्वरपार्श्वनाथस्तोत्रम् श्रीशंखेश्वर पार्श्वनाथ स्तोत्र (उपजाति छन्द) ऐ काररूपां प्रणिपत्य वाचं, वाचंयमवातकृतांह्रिसेवम् / जनुःपुपूर्पर्दुरितं जिहासुः, शङ्ख श्वरं पार्श्वजिनं स्तवीमि // 1 // अपने जन्म की पूर्ति एवं पाप-निवृत्ति की इच्छावाला मैं (यशोविजय उपाध्याय) एंकाररूपिणी सरस्वती देवी को प्रणाम करके श्रमणसमूह द्वारा सेवित श्री शङ्केश्वर पार्श्वनाथ प्रभु की स्तुति करता हूँ / / 1 / / अध्येकमीशं जगतां भवन्तं, विहाय ये नाम परं भजन्ते / कुपक्षिरणस्ते ननु पारिजात-स्रजं भजन्ते न करीरसक्ताः॥२॥ हे देव ! संसार के एकमात्र स्वामी आपको छोड़कर जो लोग अन्य देवताओं की सेवा करते हैं, वे निश्चय ही करीर वृक्ष के प्रति आसक्त बने हुए कुत्सित पक्षी के समान-(अनुत्तम पक्ष का आग्रह रखने के कारण) सर्वेप्सितदाता-पारिजात वृक्षों की श्रेणी का आश्रय नहीं लेते हैं // 2 //