________________ (484) ___ अ. पा.. सू. . . पृ. नासत्त्वाश्लेषे / 3 / 4 / 57 / 122 निगवादेर्नाम्नि / 5 / 1 / 61 / 280 निघोघसंघोद्घनापघनोपघ्नं नि मितप्रशस्तगणात्याधानाङ्गासन्नम् / 5 / 3 / 36 / 361 निजां शित्येत् / 4 / 1 / 57 / 113. निन्द-हिंस-क्लिश-खाद-विनाशि व्यामाषासूयानेकस्वरात् / 5 / 2 / 68 / 303 निन्द्ये व्याप्यादिन् विक्रियः / 5 / 1 / 159 / 295 निमीत्यादि-मेङः तुल्यकर्तृके / 5 / 4 / 46 / 389 निमूलात् कषः / 5 / 4 / 62 / 393 निरभेः पू-स्वः . / 5 / 3 / 21 / 369 निर्गो देशे / 5 / 1 / 133 / 291 निविशः / 3 / 3 / 24 / 227 निविस्वन्ववात् / 4 / 4 / / / 310 / 4 / 4 / 39 / 167. निहवे ज्ञः / 3 / 3 / 68 / 235 नीदांवशसूयुयुजस्तुतुदसिसिचमि हपतपानहस्त्रट / 5 / 2 / 8 / 306 नुप्रच्छः / 3 / 3 / 54 / 233. निष्कुषः