________________ (476) जेगिः मन्परोक्षयाः / 4 / 1 / 35 / 20 ज्याव्यधः ङिति / 4 / 1 / 81 / 113 ज्याव्येव्यधिन्यचिव्यथेरिः / 4 / 1 / 71 / 74 ज्वल-बल-मल-ग्ला-ना-वन-। 4 / 2 / 32 / 189 निरुणमोर्वा जिच ते पदस्तलक् च मिणवि इन् / 4 / 4 / 106 / 248 / / 3 / 4 / 66 / 126 ब्णिति गिति घात् ट्वेघाशाच्छासो वा ट्धेश्वेर्वा ट्वितोऽथुः / 3 / 4 / 59 / 25 / 5 / 3 / 83 / 379 डाच्लोहितादिभ्यः पित् डीयश्व्यैदितः क्तयोः डितस्त्रिमा तत्कृतम् 'णक-तृचौ / 3 / 4 / 30 / 217 / 4 / 4 / 61 / 311 / 4 / 3 / .84 / 375 15 / 1 / 48 / 277