________________ (471) . अ. पा. सू. पृ. कृगोऽव्ययेनानिष्टोक्तो क्त्वाणमौ / 5 / 4 / 84 / 400 कृतचूतनृतच्छृदतृदोऽसिचः सादेर्वा / 4 / 4 / 50 / 116 कृतास्मरणातिनिहवे परोक्षा / 5 / 2 / 11 / 254 कृषः श्वस्तन्याम् . / 3 / 3 / 46 / 80 कृवृषिमृजिशंसिगृहिदुहि- . जपो वा / 5 / 1 / 42 / 273 क्त-क्तवतु / 5 / 1 / 174 / 306 केटो गुरोर्व्यञ्जनात् / 5 / 3 / 106 / 379 क्यः शिति / 3 / 4 / 70 / 243 क्यषो नवा / 3 / 3 / 43 / 231 क्यनि / 4 / 3 / 112 / 215 क्ययङाशीय / 4 / 3 / 10 / 22 क्रमो दीर्घः परस्मै / 4 / 2 / 109 / 48 . क्रमोऽनुपसर्गात् / / 3 / 3 / 47 / 232 अय्यः क्रयार्थे / 4 / 3 / 91 / 271 / / 3 / 4 / 79 / 169 क्रव्यात्-क्रव्याद् वावा- / 5 / 1 / 151 / 293 क्रियार्थो धातुः / 3 / 3 / 3 / 1 ऋयादेः