________________ (470) अ. पा. सू... पृ. कामोक्तावकञ्चिति / 5 / 4 / 26 / 264 कारणम् / 5 / 3 / 127 / 384 कालस्यानहोरात्राणाम् / 5 / 4 / 7 / 260 कालेन तृष्यस्वःक्रियान्तरे / 5 / 4 / 82 / 399 किंकिलास्त्यर्थयोभविष्यन्ती / 5 / 4 / 16 / 262 किंवृत्ते लिप्सायाम् / / 5 / 3 / 9 / 257 किंवृत्ते सप्तमीभविष्यन्त्यौ / 5 / 4 / 14 / 262 कुक्ष्यात्मोदराद् भृगः खिः / 5 / 1 / 90 ! 284 कुटादेद्विदणित् / 4 / 3 / 17 / 146 कुप्यभिद्योध्यसिध्यतिष्य पुष्ययुग्याज्यसूर्य नाम्नि / 5 / 1 / 39 / 272 कुमारशीर्षाण्णिन् / 5 / 1 / 82 / 283 कुषिरब्जेाप्ये वा परस्मै च / 3 / 4 / 74 / 167 कूलादुद्रुनोदवहः / 5 / 1 / 122 / 290 कूलाभ्रकरीषात् कषः / 5 / 1 / 110 / 288 कृगः खनट करणे / 5 / 1 / 129 / 297 कृगः शत्र वा / 5 / 3 / 100 / 378 कृगः सुपुण्यपापकर्ममन्त्रपदात् / 5 / 1 / 162 / 295 कृगस्तनादेरुः / 3 / 4 / 83 / 68 कृगो यि च / 4 / 2 / 8 / 68