________________ अनोजनेः (461) ___अ. पा. सु पृ. / 5 / 1 / 168 / 296 अन्तो नो लुक् अन्यथैवंकथमित्थमः कृगोऽनर्थकात् / 5 / 4 / 50 / 390 अन्वाङ्परेः / 3 / 3 / 34 / 229 अपस्किरः / / 3 / 3 / 30 / 228 अभिव्याप्तौ भावेऽननिन् / 5 / 3 / 90 / 376 अमान्ययात् क्यन् च / 3 / 4 / 23 / 214 अमोऽकम्यमिचमः / 4 / 2 / 26 / 188 . अयदि स्मृत्यर्थे भविष्यन्ती / 5 / 2 / 9 / 254 अयि रः . / / 1 / / 6 / 103 अतिरीब्लीह्रोक्नूयिक्ष्माय्यातां / 4 / 2 / 21 / 175 / 5 / 4 / 37 / 278 अोऽच् . / 5 / 1 / 91 / 284. अपहसासंस्रोः / / 1 / 63 / 280 अवात् तृस्तृभ्याम् / 5 / 3 / 133 / 386 अविति वा / 4 / 1 / 75 / 75 अवित्परोक्षासेट्यवोरेः / 4 / 1 / 23 / 117 अविवक्षिते / 5 / 2 / 14 / 255 अहें तृच्