________________ ( 419) लकारादङ् समायास्येः सिचि वृद्धिनिषेधकः / ऐस्क्तयोरिनिषेधः स्यादोस्क्तयोस्तस्य नो भवेत् // 3 // औकार इड्विकल्पार्थेऽनुस्गरोऽनिविशेषणे / लुकारश्च विसर्गश्वानुबन्धे भवतो नहि // 4 // कोऽदादिन गुणी प्रोक्तः खे पूर्वस्य मुमागमः / गेनोभयपदी प्रोक्तो घश्च चनोः कगौ कृतौ // 5 // आत्मने गुणारोधे ङश्चो दिवादिगणो भवेत् / मो वृद्धौ वर्तमाने क्तः टः स्वादिष्ठद्युकारकः // 6 // त्रिमगर्थो डकारः स्याण णचुरादिश्च वृद्धिकृत् / तस्तुदादौ नकारश्चेच्चापुंसीति विशेषणे // 7 // रुधादौ नागमे पो हि मो दामः सम्प्रदानके / यस्तनादेरकारः स्यात् पुंवद्भावार्थसूचकः // 8 // स्त्रीलिङ्गार्थे लकारो हि उत औविति वो भवेत् / शः क्रयादिः क्यः शिति प्रोक्तः षः षितोऽङविशेषणे // 9 // पदत्वार्थे सकारो हि नोक्ता अत्र न सन्ति च / धातूनां प्रत्ययानां चानुबन्धः कथितो मया // 10 // // इत्यनुबन्धफलम् //