________________ 42 : : नरभवदिद्रुतोवनयमाला आ प्रमाणे संकल्प करी मातापिताने पूछी शुभ दिवसे ते चाणाक्य गामथी देशाटनमाटे नीकली गयो / 1 / रूवं परिवायमयं विहिज्जा निरग्गलं गच्छइ सत्यदक्खो / कमेण पत्तो वरबुद्धिजुत्तो मयूरपोसाभिहगाममज्झे // 11 // ___भावार्थ:-शास्त्रनिपुण चाणाक्य परिव्राजकनुं रूप बनावी अटकायत विना चाले छे क्रमे क्रमे श्रेष्ठबुद्धि धरनार ते ब्राह्मणपुत्र मयूरपोष नामना गाममां आवी पहोंच्यो // 11 // पालेइ रज्जं निऊणं सुनंददायाय राया वरगुत्तणामा / मोरोयवसोदहिसीयभाणु सम्भाणु पच्चत्थिनिसायरस्स / 12 / / भावार्थ:-त्यां नंदराजानो भागीदार राजा वरगुप्तनामा सारीरीते राज्य करे छे जे मौर्यवंशरूप समुद्रनी वृद्धि माटे चन्द्र जेवो अने शत्रुरूप चन्द्रनो नाश करवा माटे एटले के तेजोहीन करवा माटे राहु जेवो हतो / / 12 / / चंदावई तस्स निवस्स भज्जा आवण्णसत्ता समयंमि जाया / पुण्णेदुबिबालिहपाणदोहलो पाउन्भवित्था दहपूरणिज्जो / 13 / भावार्थ:-ते राजाने चंद्रावती नामनी स्त्री हती गर्भिणी होवाथी वखत आव्ये पूर्णचन्द्रना बिबर्नु पान करवानो मुश्केलीथी पूर्ण करी. शकाय तेवो एक दोहद (मनोरथ) उत्पन्न थयो // 13 // ...