________________ 8 कूर्मनामा दृष्टांत : : 143 शुं ? पण तमाम बीजा जीवोने आ नवं कौतुक बतावतुं जोइए, एम विचारी खुशीमांने खुशीमां बीजा जीवोनी शोध माटे नीचे पाणीमां चाल्यो गयो // 7 // आणीय सयलसयणो जाव पलोएइ तं किरपओसं / नो पासइ वाउवसेण पूरियं तत्थ तं छिदं / / 8 / / ___ भावार्थः-ते कूर्म (काचबो) तमाम परिवारने उपर लावी जेटलामां उंचे दृष्टि करे छे के तेटलामां देवयोगे वायुवशथी प्रथमर्नु सेवालमां पडेलं छिद्र पार्छ पूराइ गयु // 8 // पतेवि कोमुइतमि दुल्लहो ससहरो य दहमज्झे / अब्भकओववद्दव-वज्जिओ य दुल्लहं एयं // 9 // भावार्थ:-पूर्णिमानी रात्री प्राप्त थया छतां पण द्रह वच्चे चंद्रनु आवq दुर्लभ छे, कदाचित् द्रह उपर चंद्र आवे तो पण तेना उपर अभ्र (वादला) विगेरे छवाया न होय अर्थात् बहुनिर्मल होय तेवी स्थिति तो दुर्लभ छे // 9 // तह संसारमहद्दह'-मज्झे मग्गाणं सयलजंतूणं / / पुणरवि माणुसजम्मो अइदुल्लहो पुण्णहीणाणं / / 10 // . भावार्थ:-तेवी रीते संसाररूप द्रहनी अंदर डुबेल 1 महद्दव इत्यपि