________________ / / 7 / / अथ राधावेधनामा सप्तमो दृष्टान्तः इंदपुरे इव रम्मे इंदपुरे वरपुरंमि णरणाहो / नामेण इंददतो इंदो इव विबुहमहणिज्जो // 1 // भावार्थ:-इंद्रपुर (अमरापुरी) जेवा अत्यंत रमणीय इन्द्रपुरनामना नगरमा विबुधोने (पंडितोने अथवा देवोने) पूज्य इन्द्रना जेवो प्रतापशाली इंद्रदत्त नामनो राजा राज्य करतो हतो // 1 // सिरिमालीपमुहपुत्ता बावीसमणंगचंगरूवधरा / बावीसाए देवीण मत्तया तस्स य अहेसि // 2 // भावार्थ:-ते इंद्रदत्तने श्रीमाली प्रमुख बावीस पुत्रो कामना जेवा रमणीय शरीरने धारण करनारा हता, अने सुंदर बावीस स्त्रीओ अन्तःपुरमा हती // 2 // एगंमि य पत्यावे अमञ्चधूया रइध्य पच्चरका / विट्ठा तेणं गेहे कोलंति विविहकीलाहिं // 3 // ____ भावार्थः-एक वखते घरमां जुदीजुदी जातना खेलोथी क्रीडा करती, अने रूपमां रती जेवी मंत्रीनी पुत्री ते राजानी दृष्टिए पडी // 3 // तो पुच्छिो परियणो कस्सेसा तेण जंपियं देव ! / मंतिसुया अह रण्णा तदुवरि संजायरागेण // 4 // विविहपयारेहि मग्गिऊण मंति सयं समन्वदा / परिणयणाणंतरमविखित्ता अंतेउरे सा य / / 5 / /