________________ 6 स्वप्न दृष्टांत: : - भावार्थ:-आना ( सद्धडनामे भट्टना ) भालानी सहायतावडे करी हमणा तो हुँ जइश, पण ते (सद्धड) मने रस्तामां नहि उगे? एम विचारी अरस्परस बन्ने जण वातचित करी. पछी मूलदेव तेनी साथे चाल्यो / / 45 / / पत्ते दिणपहरतिगे निग्गामपहाए तोए अडवीए / कत्थ वि सजल'पएसे विस्सामं, काउमारद्धो // 46 // भावार्थ:-दिवसना त्रीजा प्रहरमां कोइ गामनी मार्ग विनानी भयंकर अटवीमां पहोंचतां अने त्यांज कोइ भागमां जलवालो प्रदेश दृष्टिए पडवाथी विसामो लेवानो प्रारंभ कर्यो // 46 // नीहारिऊण तइयाए सत्थुआ तेण पत्तपुडयाए। आलोडिय सलिलेग भत्ता एगामिणा चेव / / 47 // भावार्थ:-ते वखते पेला भट्टे पांदडाना पडीयामा साथुवाने पाणी साथे. घोली एकले ज भोजन करी लीधुं // 47 // भासामेत्तर्णपिय इयरो न निमंतिओ समोवेधि। चट्टतो निठुरमाणसेण ही किविणचरियाई ! // 48 // . 2 भावार्थ:-समीपमाज वर्तता मूलदेवने ते भट्टे भाषामात्रथी पण निमन्त्रण न आप्यु. तो कृपण 1 पवेसे इत्यपि