________________ 6 स्वप्न दृष्टांत: : किं ते करेमि इण्हि ? जं रुच्चइ त करेसु सो भणइ / नियदुच्चरियवसाओ जमहं तुह गोयरे जाओ // 38 // भावार्थ:-हे मूलदेव ! बोल हुँ तने शुं करुं ? मूलदेवे कह्य-सार्थवाह ! इच्छानुसार कर. हुं पोताना दुश्चरित्रथी तारी दृष्टिए पड्यो छु // 38 / / वयणपउति सो तस्स सोउमक्खित्तमाणसो भणइ / हा देव ! परिणई सुयणाण वि जमावयाइती // 39 // भावार्थ:-आ प्रकारना / मूलदेवना वचनो सांभली अचले शांतहृदयथी विचार्यु के भाग्यपरिणति केवी छे ! जेना. वशथी सज्जनो पण आवी आफतमां पडे छे // 39 // नासियनीसेसतमो जगचडार्माणपयं पवष्णो य / पावइ सूरोवि वसणं गयकण्णल्लोलाइ कालवसा // 40 // भावार्थ:-समस्त अंधकारनो तिरस्कार करी जगच्चूडामणि पद मेलवनार सूर्य पण राहुथी हाथीना काननी माफक चंचलगतिनी प्रेरणाथी व्यसन (कष्ट) पामे छे // 40 // मज्झं करेज्ज कइयावि साहेज्जं भद्द वसणपडियस्स / सक्कारिऊण मुक्को अयलेणं मूलदेवोत्ति // 41 // भावार्थ:-आम विचारी मूलदेवने कह्य के