________________ दशाश्रुतस्कन्धस्य विचारा: चूपणा तु-तम्मि नायए पेजवंधणं नेहो तं वोच्छिण्ण / गोयनो भगवया पट्टविओ अमुगग्गामे अमुग बोहेहि / तहि गओ वियालो य जाओ तत्थेव बुच्छो नवरि पेच्छा रत्ति देवसंनिवार्य उवउत्तो नाय जहा भयव कालगओ / ताहे चिंतेह-अहो ! भयव निस्पिवासी कहं वा वीयरागाण नेहो भवइ नेहरागेण य जीवा संसार अडंति / पत्थंतरे नाण उप्पन्नं / बारस वासाणि केवली विहग्इ जहेव भयव / नवर अइसयहिआ धम्मकहणा परिवारो य तहेव पच्छा अजसुहम्मस्स निसिरइ गण दीहाउ त्ति काउं, पच्छा अजसुहम्मस्स केवलनाण समुप्पन्नं / सा वि अवासे विहरित्ता केवळलपरियापण अजजंबुनामस्स गण दाउं सिद्धि गओ इति / वीरस्स पक्कारस गणहरा नव गणा, दोण्ह दोण्ह पच्छिमाण एक्का गणा, जीवंते चेव भट्टारए नव गणहरेहि अजसुहम्मस्स गणा निक्खित्ती दीहाउगोत्ति नाउ / इमीले आसप्पिणीए दूसमसुसमाए समाए बहुवीइकंताए तिहिं वासेहि अद्धनवमेहि य मासेहिं सेसेहिं पायाए मज्झिमाए हत्थिपालरणो रज्जुगसभाए एगे अबीए छ?ण भत्तेण अपाणएण साइणा नकवत्तेण जोगमुवागरण पच्चूसकालसमयंसि संपलियंकनिसपणे पणपण्ण अझयणाई कल्लाणफलविवागाई पणपण्ण' अज्झयणाई पावफलविवागाई छत्तीसं च अपुट्ठवागरणाई वागरित्ता पहाण नाम अज्झयणं विभावेमाणे विभावेमाणे कालगए जाव सव्वदुक्खप्पहीणे इति। : अट्टमेण भत्तेण अपाणएण विसाहनक्खत्तेण जोगमुवागएण एग देवदूसमादाय तिहिं पुरिससरहिं सद्धि मुंडे भवित्ता अगाराओ मणगारिय पम्वइए पासेण अरहा इति 'सोपधित्व जिनानाम्' / सयमेव पंचमुट्टियं लोय करेइ 2 छ?ण भत्तेण अपाणएण चित्ताहि नक्खत्तेण जोगमुवागरण पगं देवदूसं गहाय एगेणं