________________ निःशेषसिद्धान्तविचार-पर्याये करचरणनयणदसणाइ-धोवणं पंचमो उ अइसेसो। आयरियस्स उ सययं कायवो होइ नियमेण // 236 // अइवि य निग्गयभावो तहवि य रक्खिजए स अण्णेहिं / वंसकडिल्ले छिन्नो वि वेणुओ पावए न. महिं // 249 // विजाण परिवाडी पव्वे पव्वे य दिति आयरिया / मासद्धमासियाण पव्वं पुण होइ मज्झं तु // 251 // पक्खस्स अट्टमी खलु मासस्स य पक्खियं मुणेयव / अण्णं पि होइ पव्व उवरागो चंदसूराण // 252 // चूणिर्यथा- 'पक्ख पव्वस्स मज्झं अमि, बहुलाइया मास त्ति काउ मासस्स मज्झे पक्खियं किण्हपक्खस्स चउहसीए विजासाहणोवयारो' इति पाक्षिकविचारः / अइ उग्घाडपोरिसीए इंतवव्वंताण . पोरिसीभंगो भवइ तो आयरिएण चेच अकयसुयाण सगासं गंतव्वं, अह भायरिओ बुड्ढत्तणेणं गेलण्णेण वा न सकेइ गंतुं ताहे अकडसुत्ता मज्झे आयरियसगासमागंतुं आलोइंति' इति अन्यत्र उषितानां प्रभातादौ आलोयणकस्य विचारः। / जहा य अंबुनाहमि अणुबंधपरंपरा / वीई उप्पजए एवं परिणामो सुभासुभो // 316 // षष्ठस्यैते समाप्ताः / सप्तमे तु यथा धम्मकहनिमित्तेहि य विजामंतेहिं चुण्णजोगेहिं / इन्भाइ जोसियाण संथवदाणे जिणाययण // 3 // . संबोहणट्टयाए विहारवत्ती व जिणवरमहे वा। महयरिया तत्थ गया निजरणं भत्तवत्थाणं // 4 //