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________________ श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह यहां पर खास- खास नाम दिखलाये हैं। सब अनतकाय अभक्ष्य हैं। ___ अनंतकाय का लक्षण यह है कि पत्ते, फूल, फल आदि में नसो का गुप्त होना, सांधे गुप्त होना, तोडने से बराबर टूट जाना, और जड से काटे जाने पर भी अर्से तक हरा रहना और बोने पर फिर से लग जाना ये सब अनंतकाय के लक्षण हैं। . इन अभक्ष्य वस्तुओ में से भांग अफीण आदि जिनके खाने की आदत पहले पड गई हो और न छूटती हो तो उसके खाने की छूट रक्खे / तथा रात्रिभोजन में चउविहार तिविहार अथवा दुविहार जो भी बने पच्चक्खाण रखने का नियम करे / रोगादिक के कारण अभक्ष्य खानी पडे तो जयणा रक्खे / इसके सिवाय अनजान में किसी वस्तु में अभक्ष्य चीज खाने में आ जावे तो उसकी जयणा है / चौदह नियम"सचित्त-दव्व-विगइ-वाणह-तंबोल-वत्थ कुसुमेसु / वाहण-सयण-विलेवण-बंभ-दिसि-न्हाण-भत्तेसु॥" 1 सचित्त-सजीव पदार्थ सचित्त कहलाता है, अनाज जो बोने से उगता है, कच्चा पानी, हरा शाक, फल पान, कच्चा निमक विगैरह सब सचित्त हैं / इन सब में शस्त्र प्रयोग होने पर ये अचित्त हो जाते हैं। कितनीक चीजें ऐसी भी होती हैं
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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