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________________ 3 श्रावक-द्वादश व्रत. दे, अगर वह चीज ज्यादह कीमती हो और सब धर्म मार्ग में खर्च करने को जी न चले तो जितना जी चले उतना तो अवश्य खर्च करे। ___अपनी जमीन में से धन निकला हो तो वह स्वयं रख सकता है, उस में चोरी नहीं लगती। - किसी दूसरे का मकान किराये लिया हो और उस में से कभी खोद काम करते धन निकले तो उस का हकदार मकान का मालिक होता है उस को वह धन दे देना चाहिये, अगर ऐसा करने में अपना दिल अनाकानी करता हो तो धन में से आधा हिस्सा खुद रक्खे और आधा धर्म मार्ग में खर्च करे। ___अपने पास किसी की रकम हो और उसका मालिक गुजर गया हो और उस का कोई वारस भी न हो तो वह रकम खुद न रख कर गांव के पंचों के सुपुर्द करे अथवा पंच कहे वहां खर्च कर दे। अपने घर की मिलकत के मालिक जब तक माता पिता या और कोई बडेरा हो तब तक व्रतधारी उन की आज्ञा ले कर चीज उठावे, हां, अगर माता पिता अपना पुत्र जान कर कोई एतराज न करें तो वह उनकी आज्ञा के सिवाय भी चीज उठा सकता है। प्रतिज्ञा "मैं देवगुरु साक्षिक स्थूल अदत्तादान का त्याग करता
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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