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________________ _2 जिनपूजाविधि / कि बाहर क्या हो रहा है उस तर्फ उसका तनिक भी ध्यान न जाता था। एक रोज किसी परदेशी दुश्मनने उसके गांवपर हमला किया और बंदूक तथा तोपों के धडाकोंसे वहांके मनुष्यों को भगाने लगा उस वक्त यह विद्वान् Geometry (भूमिति) संबन्धी जटिल प्रश्न के सुलझानेमें मशगुल था, फोज के सिपाइयोंने उस के बंद कमरे की दिवार तोडकर भीतर जाकर कहा--'हमारे ताबे हो जा अन्यथा तेरी जानको खतरा है' यह सुन न तो वह डरा और न गभराया, शांतिसे जवाब दिया "Please wait some time till I finish this my knotty ridle? " ___“कृपाकर थोडी देर ठहरिये मेरा यह कठिन कोयडा पूर्ण करने दीजिये / " अहा देखिये उसकी एकाग्रता और मन की स्थिरता ! यह तो आधुनिक दृष्टांत है परन्तु शास्त्र में भी सुना जाता है एक रोज लङ्कापति रावण अपनी रानी मन्दोदरी के साथ अष्टापद तीर्थ पर गया और चोईस भगवान् की प्रथम अष्ट द्रव्य से पूजा की बाद भावपूजामें लगा / जिस वक्त मंदोदरी नाच करती थी और रावण वीणा बजाते हुए गाते थे उस वक्त उनकी भावना इतनी बढ़ गई थी कि वहां उन्होंने तीर्थङ्कर गोत्र कर्म बांध लिया।
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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