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________________ श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह 483 शामकी पडिलेहण और देववन्दन सब पोषधिक एक साथ समान-रीति से करें। 2 स्थंडिलपडिलेहणा सभी प्रकार के रात्रिपौषधिकों को जल, पथारी के लिए संथारिया-उत्तरपट्टा, कानों में डालने के लिये कुण्डल और दंडासन आदि जरूरी उपकरण पास में रख लेना चाहिये / इतना ही नहीं किंतु रात्रि में मात्रा परठने और स्थंडिल जाने योग्य नजदीक, मध्यम और दूर ऐसे तीन स्थानो को देख रखना चाहिये / आधुनिक प्रवृत्ति मुजब संथारा करने की जगह, पोषधशाला के द्वार के आस पास की भूमि और पोषधशाला से 100 हाथ तक के प्रदेश को अनुक्रम से नजदीक मध्यम और दूर का स्थान माना जाता है। इन स्थानों की प्रतिलेखना आज कल नीचे मुजब 24 मण्डलों द्वारा की जाती है। प्रथम इरियावही करके खमा० इच्छा० 'स्थंडिल पडिलेहुं?' 'इच्छं' कह कर चरवला दाहिने हाथमें ले उपर्युक्त स्थानों की तरफ फिराता हुआ नीचे का पाठ बोले . (1) 1 आगाढे आसन्ने उच्चारे पासवणे अणहियासे / 2 आगाढे आसन्ने पासवणे अणहियासे /
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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