________________ श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह 481 अविधि हुओ होय ते सविहुं मन वचन कायाए करी मिच्छामि दुक्कडं / फिर खमा० इच्छा० मुहपत्ति पडिले हुं ? 'इच्छं' कह कर मुहपत्ति पडिलेहण करे और खमा० इच्छा० 'सामायिक पारुं?' यथाशक्ति, खमा० इच्छा० 'सामायिक पायु' 'तहत्ति' कहके चरवले पर हाथ स्थापन कर नवकार गिन नीचे लिखा सामायिक पारने का पाठ वोले "सामाइअवयजुत्तो, जाव मणे होइ नियमसंजुत्तो।। छिन्नइ असुहं कम्म, सामाइअअत्तिआवारा // 1 // . सामाइयंमि उ कए, समणो इव सावओ हवइ जम्हा। एएण कारणेणं, बहुसो सामाइयं कुजा // 2 // " सामायिक विधे लीधुं, विधे पायु, विधि करता जे कंह अविधि हुओ होय ते सविहुं मने वचने कायाए करी मिच्छामि दुक्कडं / "