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________________ 476 पोषधविधि। __शंका निवृत्ति करने के बाद हाथ धो डालना चाहिये / बडी शंका (टट्टी) भी इसी विधिसे जाना चाहिये / यहां कुंडि के स्थान जल का लोटा लेकर जहां टट्टी जाने की जगह हो, जाना और बैठने के पहले “अणुजाणह जस्सुग्गहो" तथा उठने के बाद तीन बार 'वोसिरे' शब्द पूर्ववत् बोलना चाहिये / शंकानिवृत्ति कर स्थान पर आ के हाथ पग शुद्ध करना और पहरने का वस्त्रं बदलना चाहिये / बाद में स्थापनाचार्य के संमुख इरियावही कर 'गमगा गमणे' कहना। 16 चौथे पहर की प्रतिलेखनाविधि पौषधिक उक्त जरूरी कामों से निवृत्त होने के बाद स्वाध्याय-ध्यान या धर्म चर्चा में समय बीतावे और दिन के तीन पहर वीतने के बाद दूसरी बार पडिलेहणा करे जिसकी विधि नीचे मुजब है। खमा० इच्छा० 'बहुपडिपुन्ना पोरिसी' फिर खमा० इच्छा० 'इरियावहि पडिक्कमामि' 'इच्छं' कह कर इरियावही करना, बाद में खमा० इच्छा० 'पडिलेहण करूं ?' 'इच्छं' फिर खमा० इच्छा० 'पोषणशाला प्रमाणु' 'इच्छं' कह के उपवासवाला मुहपत्ति, कटासन और चरवला की. पडिलेहण करे और जिसने आयंबिल, एकाशन आदि किया हो वह उपर्युक्त
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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