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________________ 471 श्रीजैनशान-गुणसंग्रह 12 दूसरी बार काजा लेने की विधि अगर वर्षाऋतु का समय हो तो पौषधिक को पोरिसी पढाने के बाद और दो पहर का देववंदन करने के पहिले पौषधशाला में दूसरी बार काजा (पूजा) निकालना चाहिये / ___ इसकी विधि इतनी ही है कि एक जन इरियावही करके मकान में काजा निकाल कर यों ही बाहर पठ देवे, फिर इरियावही करने की जरूरत नहीं है। 13 पच्चक्खाण पारने की विधि चौविहार उपवासवालों को तो पच्चक्खाण पारने की जरूरत नहीं है, परंतु जिनको तिविहार उपवास, आयंबिल, निवी अथवा एकाशन हो उनको पूर्वोक्त विधिसे दोपहर का देववंदन करने के बाद नीचे लिली विधि से पच्चक्खाण पारना चाहिये। प्रथम इरियावही करके खमा० इच्छा० 'चैत्यवन्दन करूं' 'इच्छं' कहके 'जगचिन्तामगि' का चैत्यवन्दन, नमुत्थुणं, दोनों जावन्ति, उपसग्गहर और सम्पूर्ण जयवीयराय कहना / __ -वर्षाऋतु श्रावणवदि 1 से कार्तिक शुदि 15 तक गिनी जाती है, परंतु वर्तमान परम्परा मुजब आषाढ शुदि 15 से कात्तिक शुदि 14 तक दूसरी वार काजा लिया जाता है।
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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