________________ 458 श्री गोलनगरीय-पार्श्वनाथप्रतिष्टा-प्रबन्ध मणिमय मण्डप रचियो छे अति उत्साहे, ... वारे वारे जोवाने मन ललचाये |आनन्द छे०॥१॥ वाजिब बहु विध विध परकारना वागे, थता श्रवण कानने अति मधुरा लागे / हस्ती घोडा रथ मनुष्यनो नहीं पार वली जमवा माटे उत्तम भोजन सार ॥आनन्द० // 2 // इन्द्रापुरी सम गोलनगर तो शोभे. जोवाने माटे देवसभा पण थोभे / ' मुनि कल्याणविजयजी महाराज भले पधार्या, मुनि सौभाग्यविजयजी महाराज़ हमोने भाव्या ॥आनन्द०३॥ संवत् उगणीसे नेउआ (1990) मास वैशाख, शुक्लपक्षने उत्तम शुकरवार / प्रभु पारसनाथ शुभपंचमीदिने पधराशे, ए शुभ दिवसे आनन्द अति वरताशे ॥आनन्द० // 4 // गुण गावे भोजक कर जोडी बहुभावे, प्रभु पाश्वनाथना दर्शनथी दुख जावे // आनन्द छ आजे गोलनगरनी मांहि, शोभा छे अपरंपार मणा नथी कांइ // 5 // // इति समाप्त //