________________ 4R श्रोजैनज्ञान-गुणसंग्रह अंगी बनी क्या आनंदकारी, सूरत तेरी है अतिप्यारी / आलम सारी तुम मुण गावे, नाचत वंदत सीस नमावे // पास० // 2 // उन्नीसे एकाणुं द्वितीय वैशाखे, शुदिपंचमी सब संघ की साखे / नूतनमंदिर तख्त विराजे, जयजयनाद से मंदिर गाजे // पास० // 3 // विश्वपति प्रभु मोहनगास, गोलप्रजा के हो सुखकारा / आश पूरो सब संकट चूरो, दिन दिन संपत हो भरपूरो // पास० // 4 // चामाराणी के नंदन प्यारे, प्रभावती के आप दुल्हारे। .. सौभाग्यविजय की अर्ज सुणीजो, दास की खबरां नित नित लीजो // पासप्रभु की० // 5 // . 5 लावणी आनन्द छ आजे गोलनगरनी माहि, शोभा छ अपरंपार मणा नथी कांइ