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________________ 453 श्रीजैनशान-गुणसंग्रह तरफ के तमाम मार्ग चलते रहे / चोकी पहरे का बंदोबस्त होने से लोग दिन और रात चलते ही रहते थे। सप्तमी को नगर में मनुष्य बहुत कम दिखते थे। यद्यपि तब तक बाहर के बहुत आदमी थे और नगर मनुष्यों से भरा हुआ था तथापि 30000-35000 हजार मनुष्य का मेला देखे हुए मनुष्यों को सप्तमी का दिन जन शून्यसा दिखता था और अष्टमी के रोज तो वहां ओर भी अधिक निर्जनता मालूम होती थी। ___इस प्रकार गोल का चिरस्मरणीय अंजनशलाका-महोत्सव बडी सजधज के साथ आया और शान शौकत के साथ बीता, परंतु हजारों मुखों में ये शब्द छोडता गया 'धन्य अंजनशलाका ! धन्य गोल !' / .39 परिशिष्ट श्री गोलनगर अंजनशलाका उत्सव पर गायनमंडली के गाए हुए गायन 1 गायन (राग-केशरीया थासुं.) भयो ओच्छव भारी, पार्श्वप्रतिष्ठा गोलनयर में ।आंकणी॥ सुखडी सरिता सुंदरतट पर, श्री गोलनगर उद्दाम / जैन जगतज्योति झलकावत,अंजनशलाका शुभ काम रे भयो०॥
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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