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________________ 424 श्री गोलनगरीय-पार्श्वनाथप्रतिष्ठा-प्रबन्ध ही हुआ, नवमी से हवा कम होने लगी और दशमी तक बहुत ही कम हो गयी। एकादशी के प्रभानसमय में हवा उस प्रमाण पर आ गयी जितनी कि उस ऋतु के लिये जरूरी थी। इस हवा के चलने से ऋतु में खासा परिवर्तन हो गया। पहले लू और सख्त ताप से जो घबराहट होती थी वह बिल्कुल मिट गयी / वातावरण इतना ठंडा हो गया कि रात के समय अक्सर ओढ कर सोना पडता था और यह ऋतु की अनुकूलता प्रतिष्ठामहोत्सव समाप्त हुआ और संघ अपने अपने स्थान पहुंचा तब तक रही। 23 कार्यों का प्रोग्राम यद्यपि उत्सव में होनेवाले कार्यों का प्रोग्राम पहले ही निश्चित कर के कुंकुमपत्री में छपवा दिया था और हमेशा उसी मुजब कार्य होते रहते थे, फिर भी उन कार्यों के निमित्त जो जो चीज सामग्री जरूरी होती उन की सूचियां बना कर पहले ही दिन महाराज साहब अधिकारी समितियों को सुपुर्द कर देते थे, जिस से योग्य सामग्री पहले ही तैयार करके रख दी जाती थी / इन्द्र इन्द्राणियों का प्रोग्राम भी इन्हीं सूचियों में लिख दिया जाता था। नवीन बिम्बों पर वैशाखशुदि 1 के दिन.से संस्कार होने लगे थे परंतु कुछ मूर्तियां शुदि 2 के शाम को आयी थीं इस
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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