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________________ .. श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह 423 देवगुरू की कृपा और श्रीपार्श्वनाथ भगवान् के अतिशय से उत्सव के दिनों में ऋतु इतनी अनुकूल और सुखदायक रही कि उक्त दवाखाने का शोभा बढाने के अतिरिक्त कोई उपयोग नहीं हुआ / यद्यपि दवाखाना जाहिर रास्ते पर था और उस के द्वार पर “स्वदेशी-औषधालय" इस प्रकारका बोर्ड लगा दिया था तथापि उत्सव के दर्मियान किसी के माथा तक नहीं दुखा और दवाखाने की जरूरत ही नहीं पडी। ___22 ऋतु की अनुकूलता गर्मी का समय मारवाड के लिये अतिशय प्रतिकूल ऋतु है / इस मौसम में सख्त ताप और प्रचण्ड आंधियों से मनुष्य प्रायः बेचैन रहा करते हैं, और इस वर्ष तो वर्तमान पत्रों में कई भविष्यवाणियाँ भी छप चुकी थीं कि द्वितीयवैशाखशुदि 6 के दिन बडा भारी भूकम्प और आंधियाँ आने के योग हैं / इन उडती बातों से मनुष्य और भी चौकन्ने हो गये थे कि प्रतिष्ठा के दिनों में क्या होगा और क्या नहीं। द्वितीयवैशाखवदि ७-और 8 मी के दो दिन हवा इतने जोरों की चली कि लोग और भी सशंक हो गये, आ आ कर महाराज से पूछते-'गुरुमहाराज ? अगर इसी प्रकार हवा चलती रही तो संघ कैसे इकट्ठा हो सकेगा?' भोले भाविक मनुष्यों की इस बेचैनी पर महाराज साहब फरमाते-'गभराओ मत, गुरुदेव की कृपा से सब ठीक होगा।' और सचमुच सब ठीक
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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