________________ श्रीजैनशान-गुणसंग्रह 15 बिम्बों का आगमन गोलनगर के दोनों जिन मन्दिरों के लिए कुल 11 जिन बिम्बों और 4 यक्ष यक्षिणियों की मूर्तियो की जरूरत थी और प्रारम्भ में इनके लिये ही कारीगरों को खास ओर्डर दिये थे / परन्तु बाद में दूसरे भी अनेक गांव नगरो के जैनसंघों की जिनबिम्बों के लिए मांग होने के कारण अधिक बिम्बों के लिए ओर्डर दिये गये थे / बिम्ब तैयार होने की खबर मिलते ही बिम्बनिर्मापक समिति के दो सभ्य उन्हें लेने के लिए जयपुर गये और चिम्बो को रेल्वे पार्सलों में ले आये / कुछ बिम्बों का पालिस होना बाकी होने से दो दिन के बाद उन्हें कारीगर खुद पहुंचाने आये थे। ___ आर्डर के बिम्बों के उपरान्त भी जयपुर से कुछ विम्ब आये थे जो सभी खरीद लिये गये और भिन्न भिन्न गांवों के संघो की प्रार्थना से उनके गांव के नाम के अनुकूल लेख और लांछन खुदवा कर प्रतिष्ठा में रख दिए गये थे। जयपुर के अतिरिक्त सीरोही, मेहसाना, सिनोर (गुजरात), अजमेर, वालेसर आदि दूसरे भी अनेक स्थानों से जैनबिम्ब प्रतिष्ठा अंजनशलाका के लिये आए थे। सिरोही से 25, मेहसाना से १३.पाषाण के चिम्ब आए थे / सिनोर से आये हुए बिम्बों में एक विम्ब स्फटिकरत्न का था। इसके सिवा चांदी की अनेक चौवीसियां, पञ्चतीर्थियां, एकतीर्थयां, सिद्धचक्र, अष्टमङ्गल