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________________ 396 श्री गोलनगरीय-पार्श्वनाथप्रतिष्ठा-प्रबन्ध गोलनगर रलियामणो, नदी सूखडी तीर / विविधवृक्ष सोहे जिहां, अमृतमीठां नीर॥१॥ पार्श्वनाथ आदि बहु, जिनवरबिंब सनूर / अञ्जनशलाका कारणे, प्रगुणित गुण भरपूर // 2 // तत्कारण उत्सव तणी, रचना माधव मास / अवधारी अम वीनति, संघ पधारो खास // 3 // स्वस्ति श्री पार्श्वजिनं प्रणम्य तत्र श्री....'नगरे महाशुभस्थाने विराजमान पंचपरमेष्ठिमहामन्त्रस्मारक देवगुरुभक्तिकारक सम्यक्त्वमूलद्वादशव्रतधारी जिनशासनशोभाकारी चतुरसुजान परमबुद्धिनिधान इत्यादि अनेकशुभोपमालंकृत परमपूज्य श्रीसकलसंघसमस्त योग्य.................... ...............एतान् श्रीगोलनगरसे लि० संघसमस्त का श्री जयजिनेन्द्र वांचना जी। यहां पर श्री देवगुरु के प्रतापसे आनन्द मङ्गल वर्त रहा है, आप साहिबों का सदा आनन्द मङ्गल चाहते हैं / विशेष नम्र विनति यह है कि हमारे यहां पर श्रीदेवगुरु और आप श्री संघ के प्रताप से द्विभूमिक शिखरबन्ध जिनमंदिर बन कर तैयार हुआ है जिस में विराजमान करने के लिये श्रीपार्श्वनाथ आदि अनेक जिनबिंबों की अंजनशलाका प्रतिष्ठा और भगवत्स्थापना का शुभ मुहूर्त मुनिमहाराज श्री 1008
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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