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________________ श्रीजैनशान-गुणसंग्रह 369 जास अगल देखो वानर ज्युं नाचे, आशातणे परभावे रे / चित्त आशा० // 4 // बाहिरमाया छण्डी ने केई, योगीतणा व्रत धारा / शंकर ! शंकर ! शब्द को ध्याया, आशा नहीं पण टारा रे / चित्त आशा० // 5 // कलमां कुराननी भणीने सारी, सांइ बन्या केइ भारी / अल्ला अल्ला करी काल गुमायो, आशा नहीं पण वारी रे / चित्त आशा० // 6 // वेद पुराण ने आगम जाणी, त्यागी बन्या जग नामी / ते पण आश तजी न मनथी, अन्ते रही तस खामी रे / चित्त आशा० // 7 // आशा तजे जे सर्वप्रकारे, ईश सदा मन धारा। पूज्य थई ते जगमाहे गाजे, पावे सौभाग्य अपारा रे / चित्त आशा० // 8 //
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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