________________ श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह शरीररथपर पद ( राग आशावरी) पांचो घोडे एक रथ जूता, साहिब उसका भीतर सूता। खेडू उसका मदमनकारा, घोडेकुंदोरावनहारा ।पांचो घोडे // 1 // . घोडे झूठे ओर ओर चाहे, रथकुं फिरि फिरि उबर वाहे / विषम पन्थ चिहुं ओर अंधियारा, तो भी न जागे साहिब प्यारा। पांचो घो० // 2 // _ खेडू रथकुं दूर दोरावे, बेखबर साहिब दुख पावे / रथ जङ्गलमा जाप असझे, साहिब सोचा कछुअ न बूझे। पांचो घोडे० // 3 // चोर ठगोरे वहाँ मली आये, दोनुकु मद प्याला पाये / रथ जङ्गलमें जीरण कीना, मालधनीका उदारी लीना / पांचो० ॥क्षा ___धनी जग्या तब खेडू बांध्या, रासी परांना ले सिर सौ. ध्या / चोर भगें रंथ मारग लाया, अपना राज विनय जिउ पाया / पांचो घोडे // 5 //