________________ 360 5 पदसंग्रह . .. आशा छोड रहे जो जोगी, सो होवे शिववासी। उनको सुजस वखाने ज्ञाता, अंतरदृष्टि प्रकासी / चेतन० // 9 // उपशम पर पद (राग धन्याश्री) जब लगे उपशम नाही रति, तब लगे जोग धरे क्या होवे, नाम धरावे जति / जब लगे० // 1 // , कपट करे तूं बहुविध भाते, क्रोधे जले छति / ताको . फल तू क्या पावेगो, ग्यान विना नाही बति / जब लगे०॥२॥ भूख तरस और धूप सहतु है, कहे तूं ब्रह्मवती / कपट केलवे माया मंडे, मनमें धरे कती / जब लगे // 3 // ___ भस्म लगावत ठाडो रहेवत, कहत है हूं वसती / जंत्र मंत्र जडी बूटी भेषज, लोभवश मूढमति / जब लगे // 4 // बडे बडे बहु पूर्वधारी, जिनमें शक्ति हती / सो भी उपशम छोडी बिचारे, पाये नरक गति / जब लगे // 5 // कोउ गृहस्थ कोउ वैरागी, जोगी जगत जति, अध्यातम भावे उदासी रहेगो, पावेगो तबही मुगति / जब लगे० // 6 // श्री नयविजय विबुधवर राजे, जाने जगको रति / श्री जसविजय उवज्ज्ञायपसाये, हेमप्रभु सुख संतति / जबलगे० // 7 //