________________ 4 सज्झायसंग्रह तुम विण घडीए. छ मास, ते मुज नारखी पास / आछेलाल निठुरपणुं नर तें कयु जी। भाखो कोइक दोष, मुकी मननो रोष, आछेलाल कांइक तो करुणा करो. जी !.5 // हुं निराधार नार, सेली गयो भरतार आछेलाल उभी करूं आलोचना जी / एम वलवलती कोश, देती करमनो दोष, आछेलाल दासी आवी रे दोडती जी // 6 // सांभल स्वामीनी वात, लाछिलदेनो जात, आछेलाल स्थूलिभद्र आव्यो रे आंगणे जी। वनिता सांभली वात, हियडे हरक नमात / आछेलाल प्रीति पावन प्रभु ते करी जी // 7 // पधारो घर मुज, मुनि भाख्यो सवि गुज, .. आछेलाल उठ हाथ अलगी रहे जी। माता आगे मुसाल, तिम मुज आगल ख्याल / चित्रशाली चोमास, निहाली मुख तास, आछेलाल वनिता विधिसुं आलोचवे जी। मादल ताल केसाल, मुंगल मेरी स्साल, आछेलाल मावे नव नव रागसुं जी // 9