________________ 255 श्रीजैनशान-गुणसंग्रह नृप सूरजी के नंदा, टालो जी कर्मफंदा / देवो विशुद्धानंदा, नमता हूं० // 2 // चारों गति का फेरा, वारो जी नाथ मेरा / कर लो पदाति तेरा, नमता हूं // 3 // ममता गई है मेरी, मूर्ति निहाल तेरी / छटकी. भवों की फेरी, नमता हूं० // 4 // जपते ही नाम तेरा, विनसा है मोह मेरा / मिलिया विवेक डेरा, नमता हूं० // 5 // करुणा से दास तारो, कुगंति के द्वार ठारो। कर्मन् के बंध वारो, नमता हूं० // 6 // मन की उपाधि चूरो, सिद्धि सुखों को पूरो / कर लो सोभाग शूरो, नमता हूं० // 7 // श्री अरनाथजिनस्तवन . (आसणरा जोगी यह देशी) श्री अरजिन भवजलनो तारु, मुज मन लागे वार रे, मनमोहन स्वामी / बांह. ग्रहीए भविजन तारे, आणे शिवपुर आरे रे, मनमोहन स्वामी // 1 // ___ तप जप मोह महातोफाने, नाव न चाले माने रे, मनमो० / पण नवि भय मुज हाथो हाथे, तारे ते छ साथे रे, मनमो० // 2 //