________________ 227 श्रीजैनशान-गुणसंग्रह ऋषभदेव स्तवन (दास परे दया लावो रे यह राग) आदि प्रभु मने तारो रे, दयाल स्वामी आदि प्रभु मने तारोआं०। इन्द्रादि पूजंत पाया, इन्द्रनार मन में ध्याया। आशा प्रभु मारी पूरो पूरो रे, दयाल खामी० // 1 // मिथ्यात्व अंधारं माझं, आज भाग्युं मननुं सारं / देखी छबी तारी रूडी रूडी रे, दयाल० // 2 // संसारजाल भारी, नाथ वार पल में मारी। जावे भव भव ना फेरा फेरा रे, दयाल० // 3 // संभाल ले नाथ मारी, स्नेह शुद्ध दिल में धारी / वीनति करुं शिर नामी रे, दयाल० // 4 // सौभाग्य वांछित पूरो, कर्म फंद सघळा चूरो। आपो शिवरमणी प्यारी प्यारी रे, दयाल // 5 // आहोर ऋषभदेव स्तवन .. (जै जै सुख कर दुःख हर० यह चाल) . ॐॐ जगपति अशरण शरण नाथ प्रभु जाउं बलिहारी ॐ। मुरति कैसी मोहनगारी, नाथ तुमारी अति सुखकारी। देखत हम मन लग रही प्यारी, ॐॐ // 1 // काने कुंडल शिर पर सोहे, ताज सोनेरी अति मन मोहे /