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________________ 225 श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह केशरीयाजी का स्तवन (केशरीया थाशुं प्रीत. यह राग) केशरिया प्यारा मनडुं मोयुं रे तारा रूप में, सांवरीया मारा दिल लोभाणुं रे तारा रूपमें / नगर धुलेवा शोभतो रे, मंदिर है गुलजार बावन जिनालय मांहे बिराजे, केशरिया. सरकार रे . केशरीया प्यारा. // 1 // शाम वरण तूं मोहनगारो, करुगा रस भंडार, संघ सकल दर्शन कुं आवे, करे पूजन सुखकार रे केश. // 2 // परिकर सारा है रुपेरी, अंगीयां झाकझमाल / काने कुंडल शिर पर सोहे, मुगट ने फूलमाल रे केश. // 3 // रंग रूपालो है लटकालो, मुख सुंदर है भारी / नरनारी सब मोहि रह्यारे, जाउं तुज बलिहारी रे केश. // 4 // उगणीसे बीआसी वर्षे, वदि चौदस पोष मास / तखतगढ के संघ साथे, यात्रा करी तुम खास रे केश. // 5 // कल्पवृक्ष चिंतामणि प्यारो, केशरीया महाराज / सौभाग्यविजय से नेण मिलावो, करो सकल मुजकाज रे केशरीया० // 6 //
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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