________________ श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह द्वितीय खण्ड चैत्यवंदन 1 स्तुति संग्रह 2, स्तवन 3 और स्वाध्याय 4 / पद 5 ये द्वितीयखण्डमें, कहे पंच अध्याय // 1 // 1 चैत्यवंदनसंग्रह मुनिश्रीकल्याणविजयविरचिता चैत्यवन्दनचतुर्विंशतिका श्री ऋषभदेवजिनचैत्यवन्दनम् / (वसन्ततिलकाऽपरनामकं उद्धर्षिणी वृत्तम् ) श्रीनाभिराजकुलनन्दनकल्पवृक्षः, संप्राप्तसर्वसुरपूज्यतमत्वपक्षः / उल्लासयन् रविरिवाङ्गिसरोजखण्ड, दिश्यात्स शर्म वृषभो भवतामखण्डम् // 1 //