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________________ 178 5 विविध विचार जितने महीने का गर्भ गिरे उतने दिन का सूतक समझना, परदेश में गये हुए का मरण समाचार सुने तो 1 अथवा 2 दिनका सूतक लगे ऐसा कल्पभाष्य का लेख है। . गोमूत्र में 24 पहर के बाद संमूच्छिम जीव उत्पन्न होते हैं / भेंस के मूत्र में 16 पहर बाद जीव उत्पत्ति, गाडर गधी तथा घोडी के मूत्र में 8 पहर बाद जीव उत्पत्ति और मनुष्य के मूत्र में 4 पहर बाद संमूच्छिम जीव उत्पन्न होते हैं। (7) रोगी-मृत्युज्ञान / रोगीमृत्युज्ञापक त्रिनाडीचक्र पहला / इस चक्रका नाम 'त्रिनाडीचक्र' है। इसका दूसरा नाम 'भुजंग चक्र' भी है / इसके बनाने का विधान नीचे के प्राचीन पद्य में दिया है"आइच्चाइ धरेवि भुअंगह, पनरस माहि ठवेविणु अंगह / बारस बाहिरि तस्स य दिजइ, जीविय-मरण फुडं जाणिज्जइ॥" __ अर्थात् प्रथम आदिनाडी में रवि नक्षत्र लिखना फिर मध्य और अंत्य नाडी में अनुक्रम से उसके बाद का एक एक नक्षत्र लिखना उसके बाद तीन नक्षत्र अंत्यनाडी के ऊपर बाहर लिख कर फिर अंत्यनाडी से शुरू करके आदिनाडी तक तीन नक्षत्र लिखे, बादमें आगे तीन नक्षत्र आदि नाडी के नीचे बाहर लिखे और फिर आदि मध्य अंत्य नाडियों में क्रमशः तीन नक्षत्र लिख कर अंत्यनाडी के ऊपर तीन नक्षत्र लि
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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