________________ श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह 123 4200, 2 मध्यम वाचना श्लोक 4500, 3 बडी वाचना श्लोक.११८०० है'। ___3 बृहत्कल्प--उद्देशक 24, मूल श्लोक 473, इस की वृत्ति संख्या 1332 की साल में बृहच्छाखीय श्रीक्षेमकीर्ति सूरिकृत 42000 श्लोक हैं, भाष्य१२०००, लघुभाष्य 8000, चूर्णि 14325, कुल संख्या 76798 है। 4 व्यवहार--उद्देशक 10, मूल श्लोक 600, मलयगिरि टीका श्लोक 33625, चूर्णि 10361, भाष्य 6000, कुल संख्या 50586 है। पंचकल्प-अधिकार 16, मूल श्लोक 1133, चूर्णि 2130, भाष्य 3125, कुल 6388 और इस में गाथा संग्रह 1 ताडपत्रीय सूची में महानिशीथ की तीन वाचनाओं के श्लोक क्रमशः 3400, 4200 और 4500 लिखे हैं। . 2 ताडपत्रीय सूची में मूल 473, भाष्य 8000, सामान्य चूणि 14000, विशेष चूर्णि 10000, बृहदभाष्य 13000 और सर्वसंख्या 45473 श्लोक की लिखी है। . . 3 ताडपत्रीय सूची में सूत्र 373, भाष्य 6000, चूर्णि 10361, वृत्ति 33000 और सर्वसंख्या 49734 श्लोक लिखा है। . 4 ताडपत्रीय सूची में मूल के स्थान नियुक्ति शब्द है। चूणि की 3131, भाप्यकी 3130 और सर्व संख्या 7394 - श्लोक प्रमाण लिखी है।