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________________ 122 5 विविध विचार 8 गणिविज्जा पइन्नय-इस में ज्योतिष की चर्चा है। गाथा 100 हैं। 9 महापच्चक्खाण--इस में आराधना का अधिकार है। गाथा 134 / . 10 मरणसमाधि--अंत समय में शांतिपूर्वक मरण होना चाहिये, उस का वर्णन है / गाथा 720 / इन 10 पइन्नों की गाथायें 2305 हुई हर एक को एक एक अध्ययन समझना चाहिये। 6 छेद सूत्र 'छेद सूत्रों' का मतलब है 'दंडनीति शास्त्र' / जैसे राज्य व्यवस्था के लिये कानून ग्रंथ होते हैं उसी तरह साधुओं को कोई दोष अपराध लगे उस का दंड प्रायश्चित्त विधान करने वाले 'छेदसूत्र' हैं / साधु समाज की व्यवस्था के लिये ये ही धर्मकानून ग्रंथ हैं / इन के मुताबिक चलने से साधुओं का संघ शासन व्यवस्थित रीति से चलता रहता है। 1 निशीथ-~-उद्देशक 20,. मूल पुरानी सूची में 815 श्लोक हैं / इस का लघुभाष्य 7400 श्लोक, चूर्णि 28000 श्लोक और बड़ा भाष्य 12000 श्लोक हैं / कुल संख्या 48215 है। 2 महानिशीथ--अध्ययन 13, मूल श्लोक 4500 हैं मतांतरे इस की तीन वाचनायें हैं--१ लघुवाचना श्लोक 1 ताडपत्रीय सूची में इस भाष्य का उल्लेख नहीं है।
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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