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________________ 100 तपस्या-विधि ज्ञानपंचमी तप कार्तिक शुदि पंचमी से यह तप शुरू किया जाता है। हर एक महीने की शुदि पंचमी को उपवास करते पांच वर्ष और पांच मास में 65 उपवास होते हैं और इस तप की स. माप्ति होती है। . इस तप में 'ॐ ही नमो नाणस्स' इस पद की 20 माला गिने तथा साथिया काउसंग्ग लोगस्स 51 का करे / तप सं. पूर्ण होने पर इसके उजमणे में ज्ञान दर्शन और चारित्र के सर्व 5-5 उपकरण लावे और पेंतालीस आगमकी पूजा पढावे / साथ में यथा शक्ति साहमीवच्छल भी करे। पेंतालीस आगम का तप यह तप 45 दिन का होता है। हमेशा एकासणा किया जाता है / तप संपूर्ण होने पर उजमणा वरघोडा तथा पूजाप्रभावनादिक करें और नंदीसूत्र तथा भगवती सूत्र का रुपये और सोना महोर से पूजन करे / दूसरे सूत्रों का पूजन वासखेप तथा पैसे से करे / इसकी विधि नीचे मुजब है 1 श्रीनंदीसूत्रायनमः / नोकरवाली 20, खमासमण सा. थिया काउस्सग्ग लोगस्स 51 / 2 श्रीअनुयोगद्वारसूत्राय नमः / नोकरवाली 20, ख. मासमण, साथिया, काउसग्ग लोगस्स 62 / 3 श्रीदशवैकालिकसूत्राय नमः / नोकरवाली 20, खमा समण, साथिया, काउसग्ग लोगस्स 14 /
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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