________________ श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह पह तप किया जाता है। अंत में उजमणे के समय अशोक वृक्ष युक्त श्रीवासुपूज्य स्वामी की प्रतिमा करा कर प्रतिष्ठापूर्वक मंदिर में स्थापन करावे, उसके आगे नैवेद्य १०८लड्डू चढावे / वर्धमान ओली की विधि . (वर्धमान आयंबिल तप) प्रथम 1 आयंबिल कर ऊपर 1 उपवास, पीछे 2 आयंबिल ऊपर 1 उपवास, फिर त्रण आयंबिल ऊपर एक उपवास, इस क्रम से बढते बढते 100 आयंबिल ऊपर 1 उपवास करने पर कुल तपस्या का हिसाब 100 उपवास और पांच हजार पच्चास आयंबिल होते हैं / पहली 5 ओलियाँ एक साथ की जाती हैं। इस तप की समाप्ति 14 वर्ष 3 महीने और 20 दिनों में होती है / इस तप में 'ॐ ही नमो जिणाणं / इस पद की 20 नोकरवाली गिने / साथिया, काउस्सग्ग लोगस्स 12 करे / .. लघुपंचमी तप पौष और चैत्रमास छोड कर अन्य किसी एक महीने में लघु पंचमी तप ग्रहण किया जाता है और शुदि तथा वदि पंचमी के दिन उपवास करते 1 वर्ष में 24 पंचमियां होती हैं, इनके ऊपर 1 पंचमी करने पर 25 पंचमियों का यह तप संपूर्ण होता है / अंत में उजमणा ज्ञानपंचमी के मुताबिक करें।