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________________ अंग-पविट्ठ सुत्ताणि सट्टयाएवि जाव अणित्थंथा संठाणा पएसट्टयाए असंखेज्जगुणा, दवट्ठपए सट्टयाए सम्वत्थोवा परिमंडला संठाणा दवढयाए सो चेव गमओ भाणियको जान अणित्थंथा संठाणा दबट्टयाए असंखेज्जगुणा, अणित्यहितो संठाणेहितो दवट्टयाए परिमंडला संठाणा पएसयाए असंखेज्जगुणा, वट्टा संठाणा पाए. सट्टयाए संखेज्जगुणा, सो चेव पएसद्वधाए गमओ भाणियन्वो जाव अणित्थंथा संठाणा पए सट्टयाए असंखेज्जगुणा // 723 // कइ गं भंते ! संटाणा पणता? गोयमा! पंच संठाणा प०,तं०-परिमंडले जाव आयए / परिमंडला गं भंते ! संठाणा कि संखेज्जा असंखेज्जा अणंता ? गोयमा ! णो संखेज्जा जो असंखेज्जा अणंता। वट्टा णं भंते ! संठाणा कि संखेज्जा ? एवं चेव, एवं जाव आयया। इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए परिमंडला संठाणा कि संखेज्जा असं. खेज्जा अणंता ? गोयमा ! णो संखेज्जा णो असंखेज्जा अता / वट्टा णं भंते ! ठाणा कि संखेज्जा० ? एवं चेव, एवं जाव आयया / सक्करप्पभाए गं भंते ! पुढवीए परिमंडला संठाणा एवं चेव, एवं जाव आयया, एवं जाव अहेसत्तमाए / सोहम्मे णं भंते ! कप्पे परिमंडला संठाणा एवं चेब, एवं जाव अच्चुए। गेवेज्जगविमाणाणं भंते ! परिमंडलसंठाणा एवं चेन, एवं अणुत्तरविमाणेसुवि, एवं ईसिप्पन्भाराएवि / जत्थ गं भंते ! एगे परिमंडले संठाणे जवमज्झे तत्थ परिमंडला संठाणा कि संखेज्जा असंखेज्जा अणंता ? गोयमा ! णो संखेज्जा णो असंखेज्जा अणंता / वट्टा णं भंते ! संठाणा कि संखेज्जा असंखेज्जा अणंता? एवं चेव, एवं जाव आयया / जत्थ पं भंते ! एगे पट्टे संठाणे जवमझे तत्थ परिमंडला संठाणा० ? एवं चेव, वट्टा संठाणा एवं चेव, एवं जाव आयया, एवं एक्केकेणं संठाणेणं पंचवि चारेयव्वा / जत्थ णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए एगे परिमंडले संठाणे जवमझे तत्थ णं परिमंडलसंठाणा कि संखेज्जा० पुच्छा, गोयमा ! णो संखेज्जा को असंखेज्जा अणंता / बट्टा गं भंते ! संठाणा कि संखेज्जा० पुच्छा, गोयमा ! णो संखेज्जा णो असंखेज्जा अणंता, एवं चेव, एवं जाव आयया। जत्य णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए एगे वट्टे संठाणे जवमझे तत्थ णं परिमंडला संठाणा कि संखेज्जा० पुच्छा, गोयमा ! णो संखेज्जा णो असंखेज्जा अणंता, वट्टा संठाणा एवं चेव, एवं जाव आयया, एवं पुणरवि एक्केक्केगं संठाणणं पंचवि चारेयव्वा जहेव हेटिल्ला जाव आयएणं, एवं जाब अहेसत्तमाए, एवं
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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