________________ आयारो सु. 2 अ. 6 उ. 1 81 वत्थाणि ससंधियाणि मुहुत्तगं 2 जाइत्ता जाव एगाहेण वा जाव पंचाहेण वा विप्पवसिय विप्पवसिय उवागच्छंति, तहप्पगाराणि वत्थाणि णो अप्पणा गिण्हति णो अण्णमण्णस्स दलयंति अणुवयंति, तं चेव जाव णो साइजति बहुवयणेण भासियव्व।।८४१||से हंता "अहमवि मुहुत्तं पाडिहारियं वत्थं जाइत्ता जाव एगाहेण वा जाव पंचाहेण वा विप्पवसिय 2 उवागच्छिरसामि, अवियाई एयं ममेव सिया" माइट्ठाणं संफासे णो एवं करिज्जा // 842 // से भिक्खू वा 2 णो वण्णमंताई वत्थाई विवण्णाई करेज्जा, णो विवण्णाई वत्थाई वण्णमंताई करेज्जा, “अण्णं वा वत्थं लभिस्सामि त्ति" कटु णो अण्णमण्णस्स दिज्जा, णो पामिच कुज्जा णो वत्थेण वत्थपरिणामं कुज्जा, णो परं उवसंकमित्तु एवं वएज्जा, “आउसंतो समणा! अभिकंखसि मे वत्थं धारित्तए वा परिहरित्तए वा" थिरं वा णं संतं णो पलिच्छिदिय 2 परिढविज्जा, जहा मेयं वत्थं पावर्ग परो मण्णइ, परं च णं अदत्तहारिं पडिपहे पेहाए तस्स वत्थस्स णिदाणाए णो तेसिं भीओ उम्मग्गेणं गच्छेज्जा जाव अप्पुस्सुए तओ संजयामेव गामाणुगाम दुइजिज्जा // 843 / / से भिक्खू वा 2 गामाणुगामं दूइज्जमाणे अंतरा से विहं सिया से जं पुण विहं जाणिज्जा, इमंसि खलु विहंसि बहवे आमोसगा वत्थपडियाए संपिंडिया गच्छेज्जा णो तेसिं भीओ उम्मग्गेणं गच्छेज्जा, जाव गामाणुगामं दूइज्जेज्जा // 844 // से भिक्खू वा 2 गामाणुगामं दूइज्जमाणे अंतरा से आमोसगा पडियागच्छेज्जा, ते णं आमो. सगा एवं वएज्जा “आउसंतो समणा ! आहरेयं वत्थं देहि णिक्खिवाहि" जहा इरियाए णाणत्तं वत्थपडियाए॥८४५|| एयं खलु तस्स भिक्खुस्स भिक्खुणीए वा सामग्गियं जं सवढेहिं समिए सहिए सया जएज्जासित्ति बेमि // 846 // बीओद्देसो समत्तो / पंचमं अज्झयणं समत्तं // . ॥पाएसणा णाम छठें अज्झयणं / / से भिक्खू वा 2 अभिकंखिज्जा पायं एसित्तए, से जं पुण पाय जाणिज्जा तंजहा अलाउयपाय वा दारुपायं मट्टियापायं वा तहप्पगारं पायं जे णिग्गंथे तरुणे जाव थिरसंघयणे से ए गं पायं धारेज्जा णो बीयं // 847 // से भिक्खू वा 2 परं अद्धजोयणमेराए पायपडियाए णो अभिसंधारेज्जा गमणाए॥८४८||से भिक्खू वा२ . से जं पुण पायं जाणिज्जा अस्सिंपडियाए एग साहम्मियं समुद्दिस्स पाणाई 4 जहा पिंडेसणाए चत्तारि आलावगा, पंचमे बहवे समणमाहणा पगणिय 2 तहेव // 849 //