________________ 854 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि सत्तरसमं सयं 6-17 उद्देसा पुढविक्काइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए समोहए 2 ता जे भविए सोहम्मे कप्पे पुढ विक्काइयत्ताए उववज्जितए से णं भंते ! कि पुव्वि उववज्जित्ता पच्छा संपाउणेज्जा, पुव्वि वा संपाउणित्ता पच्छा उवज्जेज्जा ? गोयमा ! पुब्वि वा उववज्जित्ता पच्छा संपाउणेज्जा, पुटिव वा संपाउणित्ता पच्छा उव वज्जेज्जा / से केणट्ठणं जाव पच्छा उववज्जेज्जा ? गोयमा ! पुढविक्काइ. याणं तओ समुग्धाया प०, तं०-वेयणासमुग्घाए कसायसमुग्घाए मारणंतियसमग्घाए, मारणंतियसमग्घाएणं समोहणमाणे देसेणं वा समोहणइ सम्वेण वा समोहणइ, देसेणं समोहणमाणे पुवि संपाउणित्ता पच्छा उववज्जिज्जा, सव्वेणं समोहणमाणे पुष्वि उववज्जित्ता पच्छा संपाउणेज्जा, से तेणठेणं जाव उववज्जेज्जा / पुढविक्काइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए जाव समो. हए 2 ता जे भविए ईसाणे कप्पे पुढवि० एवं चेव ईसाणेवि, एवं जाव अच्चुय. गेविज्जविमाणे, अणुत्तरविमाणे ईसिप्पन्भाराए य एवं चेव / पुढ विक्काइए णं भंते ! सक्करप्पभाए पुढवीए समोहए 2 ता जे भविए सोहम्मे कप्पे पुढवि० एवं जहा रयणप्पभाए पुढविक्काइओ उववाइओ एवं सक्करप्पभाएवि पुढविक्काइओ उववाएयत्वो जाव ईसिप्पन्भाराए, एवं जहा रयणप्पभाए वत्तव्वया भणिया एवं जाव अहे सत्तमाए समोहए ईसिप्पन्भाराए उववाएयवो सेसं तं चेव / सेवं भंते ! 2 त्ति 17.6 // 603 / / पुढविक्काइए णं भंते ! सोहम्मे कप्पे समो. हए समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुढविक्काइयत्ताए उव. वज्जित्तए से णं भंते ! कि पुवि० सेसं तं चेव जहा रयणप्पभाए पुढविकाइओ सव्वकप्पेसु जाव ईसिप्पन्भाराए ताव उववाइओ एवं सोहम्मपुढविकाइओवि सत्तसुवि पुढवीसु उववाएयव्वो जाव अहे सत्तमाए, एवं जहा सोहम्मपुढविका. इओ सव्वपुढवीसु उववाइओ एवं जाव ईसिप्पडभारापुढविकाइओ सव्वपुढवीसु उववाएयत्वो जाव अहे सत्तमाए / सेवं भंते ! 2 त्ति 17.7 // 604 // आउ. क्काइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए समोहए 2 ता जे भविए सोहम्मे कप्पे आउकाइयत्ताए उववज्जित्तए एवं जहा पुढविक्काइओ तहा आउकाइओवि सव्वकप्पेसु जाव ईसिप्पन्भाराए तहेव उववाएयवो, एवं जहा रय