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________________ 847 भगवई स. 17 उ. 1 . सत्तरसमं सयं पढमो उद्देसो णमो सुयदेवयाए भगवईए / कुंजर 1 संजय 2 सेलेसि 3 किरिय 4 ईसाण 5 पुढवि 6-7 दग 8-9 वाऊ 10-11 / एगिदिय 12 णाग 13 सुवण्ण 14 विज्जु 15 वाउ 16 ऽग्गि 17 सत्तरसे // 1 // रायगिहे जाव एवं वयासीउदाई णं भंते ! हस्थिराया कओहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता उदाइहत्थिरायत्ताए उववण्णे ? गोयमा ! असुरकुमारहितो देवेहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता उदाइ. हत्थिरायत्ताए उववण्णे / उदाई णं भंते ! हस्थिराया कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिद कहि उववज्जिहिइ ? गोयमा! इमीसे णं रयणप्पमाए पुढवीए उक्कोससागरोवमद्विइयंसि णिरयावासंसि रइयत्ताए उववज्जिहिइ / से गं भंते ! तओहितो अणंतरं उम्वट्टित्ता कहिं गच्छिहिइ कहिं उववज्जिहिइ ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव अंतं काहिइ / भूयाणंदे णं भंते ! हस्थिराया कओहितो अणंतरं उध्वट्टित्ता भूयाणंदे हत्थिरायत्ताए० एवं जहेव उदाई जाव अंतं काहिइ // 586 // पुरिसे णं भंते ! तालमारहइ ता० 2 ता तालाओ तालफलं पचालेमाणे वा पवाडेमाणे वा कइकिरिए ? गोयमा! जावं च णं से पुरिसे तालमारुहइ तालमारुहित्ता तालाओ तालफलं पचालेइ वा पवाडेइ वा तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पंचर्चाह किरियाहिं पुढें, जेसि. पिय जं जीवाणं सरीरेहितो ताले णिव्वत्तिए तालफले णिव्वत्तिए तेवि णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा / अहे गं भंते ! से तालफले अप्पणो गल्यत्ताए जाव पच्चोवयमाणे जाई तत्थ पाणाइं जाव जीवियाओ ववरोवेइ तएणं भंते ! से पुरिसे कइकिरिए ? गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे तालप्फले अप्पणो गरुयत्ताए जाव जीवियाओ ववरोवेइ तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव चहि किरियाहि पुठे, जेसिपिय णं जीवाणं सरीरेहितो तले णिव्वत्तिए तेवि णं जीवा काइयाए जाव चहि किरियाहिं पुट्ठा, जेसिपिय णं जीवाणं सरीरेहितो तालप्फले णिवत्तिए तेवि णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरि. याहिं पुट्ठा, जेवि य से जीवा अहे वीससाए पच्चोवयमाणस्स उवग्गहे वटुंति तेविय णं. जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा। पुरिसे गं भंते ! रुक्खस्स मलं पचालेमाणे वा पवाडेमाणे वा कइकिरिए ? गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे रुक्खस्स मूलं पचालेइ वा पवाडेइ वा तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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