________________ भगवई स. 11 उ. 9 701 पुरस्थिमं दिसं पसरह पुर० 2 ता जाणि य तत्थ कंदाणि य जाव हरियाणि य ताई गैण्हइ 2 ता किढिणसंकाइयं भरेइ किढि० 2 ता दन्भे य कुसे य समि. हाओ य पत्तामोडं च गेण्हेइ 2 ता जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ 2 ता किढिणसंकाइयगं ठवेइ किढि० 2 तावेई वड्ढेइ २त्ता उवलेवण संमज्जणं करेइ उ. 2 ता दन्भसगम्भकलसाहत्थगए जेणेव गंगा महाणई तेणेव उवागच्छइ गंगामहाणई ओगाहेइ 2 ता जलमज्जणं करेइ 2 ता जलकीडं करेइ 2 ता जलाभिसेयं करेइ 2 ता आयंते चोक्खे परमसुइए देवयपिइकयकज्जे दम्भसगम्भकलसाहत्थगए गंगाओ महाणईओ पच्चुत्तरइ 2 ता जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता दम्भेहि य कुसेहि य वालुयाएहि य वेइं रएइबेइं रएत्ता सरएणं अणि महेइ सर०२त्ता अग्गि पाडेइ 2 ता अग्गि संधु. केइ 2 ता समिहाकट्ठाइं पक्खिवइ समिहाकट्ठाइं पक्खिवित्ता अग्गि उज्जालेइ अग्गि उज्जालेत्ता-'अग्गिस्स दाहिणे पासे, सत्तंगाई समादहे / ' तं०-सकहं बक्कलं ठाणं, सिज्जा मंडं कमंडलुं ॥१॥वंडदारुं तहप्पाणं अहे ताई समावहे / महुणा य घएण य तंदुलेहि य अग्गि हुणइ, अग्गि हुणित्ता चरुं साहेइ, चरं साहेत्ता बलि वइस्सदेवं करेइ बलि वइस्सदेवं करेत्ता अतिहिपूयं करेइ अतिहिपूयं करेत्ता तओ पच्छा अप्पणा आहारमाहारेइ / तए णं से सिवे रायरिसी दोच्चं छटुक्खमणे उवसंपज्जित्ताणं विहरइ / तए णं से सिवे रायरिसी बोच्चे छ?क्खमणपारणगंसि आयावणभूमीओ पच्चोरहइ आयावण० 2 ता एवं जहा पढमपारणगं गवरं दाहिणगं दिसं. पोक्खेइ 2 त्ता दाहिणाए दिसाए जमे महाराया पत्थाणे पत्थियं सेसं तं चैव जाव माहारमाहारेइतए णं से सिबे रायरिसी तच्चं छटुक्खमणं उवसंपज्जित्ता गं विहरइ, तए णं से सिवे रापरिसी सेसं तं चेव गवरं पच्चत्थिमं दिसं पोक्खेइ पच्चत्थिमाए दिसाए वरुणे महाराया पत्याणे परिपयं सेसं तं चेव जाव आहारमाहारेइ / तए णं से सिवे रायरिसी चउत्थं छलुक्खमणं उवसंपज्जित्ता गं विहरइ / तए णं से सिवे रायरिसी चउत्थछटुक्खमण एवं तं चेव णवरं उत्तरं दिसं पोक्खेइ उत्तराए दिसाए वेसमणे महाराया पत्याणे परिथयं अभिरक्खउ सिवं० सेसं तं चेव जाव तओ पच्छा .अप्पणा आहारमाहारेइ // 416 // तए णं तस्स सिवस्स रायरिसिस्स छठंछणं अणिक्खित्तेणं दिसाचक्कवालेणं जाव आयावेमाणस्स