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________________ भगवई स. 9 उ. 33 6 77 उवागच्छइत्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ वंदित्ता गमंसित्ता एवं वयासी-इच्छामि गं भंते ! तुहिं अब्भणुण्णाए समाणे पंचहि अणगारसएहिं सद्धि बहिया जणवयविहारं विहरित्तए / तए णं समणे भगवं महावीरे जमालिस्स अणगारस्स एयमढें णो आढाइ णो परिजाणइ तुसिणीए संचिट्ठइ / तए णं से जमाली अणगारे समणं भगवं महावीरं दोच्चंपि तच्चपि एवं वयासी-इच्छामि णं भंते ! तुहिं अब्मणुण्णाए समाणे पंचहि अणगारसहिं सद्धि जाव विहरित्तए / तए णं समणे भगवं महावीरे जमालिस्स अणगारस्स दोच्चंपि तच्चपि एयमलैंणो आढाइ जाव तुसिणीए संचिट्टइ। तए णं से जमाली अणगारे समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ वंदित्ता णमंसिता समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियाओ बहुसालाओ चेइयाओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खमित्ता पंचहि अणगारसएहिं सद्धि बहिया जणवयविहारं विहरइ / तेणं कालेणं तेणं समएणं सावत्थी णामं णयरी होत्था वण्णओ, कोटुए चेइए वण्णओ जाव वणसंडस्स, तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा णाम णयरी होत्था वण्णओ, पुण्णभद्दे चेइए वण्णओ जाव पुढविसिलापट्टओ / तए णं से जमाली अणगारे अण्णया कयाइ पंचहि अणगारसएहि सद्धि संपरिवुडे पुव्वाणुपुचि चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे जेणेव सावत्थी णयरी जेणेव कोटुए चेइए तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिण्हइ अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाइ पुव्वाणुपुचि चरमाणे जाव सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणेव चंपा गयरी जेणेव पुण्णभद्दे चेइए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिण्हइ अहा० 2 संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ / तए णं तस्स जमालिस्स अणगारस्स तेहि अरसेहि य विरसेहि य अंतेहि य पंतेहि य लहेहि य तुच्छेहि य कालाइक्कतेहि य पमाणाइक्कतेहि य सीयएहि य पाणभोयणेहि अण्णया कयाइ सरीरगंसि विउले रोगायंके पाउन्भूए उज्जले विउले पगाढे कक्कसे कडुए चंडे दुक्खे दुग्गे तिव्वे दुरहियासे पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवक्कंतिए यावि विहरइ / तए णं से जमाली अणगारे वेयणाए अभिभूए समाणे समणे णिग्गंथे सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी-तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! मम सेज्जसंथारगं संथरेह / तए णं ते समणा णिग्गंथा जमालिस्स अणगारस्त एयमठं विणएणं पडिसुणेति पडिसुणेत्ता जमालिस्स अणगारस्स सेज्जासंथारगं संथरेंति / तए
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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