________________ 54 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि आयाम वा, सोवीरं वा, सुद्धवियडं वा, अस्सि खलु पडिग्गहियंसि अप्पे पच्छाकम्मे, तहेव पडिग्गाहिज्जा // 648 // इच्चेयासिं सत्तण्हं पिंडेसणाणं सत्तण्डं पाणेसणाणं अण्णयरं पडिम पडिवज्जमाणे णो एवं वएज्जा “मिच्छापडिवण्णा खलु एए भयंतारो अहमेगे सम्म पडिवण्णे, जे एए भयंतारो एयाओ पडिमाओ पडि. वज्जित्ताणं विहरंति, जो य अहमंसि एय पडिमं पडिवज्जित्ताणं विहरामि सवेऽवि ते उ जिणाणाए उवढ़िया अण्णोण्णसमाहीए एवं च णं विहरंति // 649 // एय खलु तस्स भिक्खुस्स वा भिक्खुणीए वा सामग्गिय // 650 // एगारसमो. देसो। बिइयसुयक्खंधस्स पिउसणा णामं पढमज्झयणं समत्तं। ॥सेज्जा णाम बीयं अज्झयणं // से भिक्खू वा 2 अभिकंखेजा, उवस्सयं एसित्तए, से अणुपविसेत्ता गाम वा जाव रायहाणिं वा // 651 // से ज पुण उवस्सयं जाणिज्जा, सअंडं जाव ससंताणयं तहप्पगारे उवस्सए णो ठाणं वा सेज वा णिसीहियं वा चेए जा // 652 // से भिक्खू वा 2 से जं पुण उवस्सयं जाणिज्जा, अप्पंडं अप्पपा जाव अप्पसंताणयं तहप्पगारे उवस्सए पडिलेहित्ता पमजित्ता, तओ संजयामेव ठाणं वा सेज वा णिसीहियं वा चेएज्जा // 653 // से जं पुण उवस्सयं जाणिज्जा अस्सिपडियाए एगं साहम्मियं समुद्दिस्स पाणाइं भूयाई जीवाई सत्ताई समारब्भ समुहिस्स कीयं पामिचं अच्छिज्ज अणिसटुं अभिहडं आह? चेएइ तहप्पगारे उवस्सए पुरिसंतरगडे वा अपुरिसंत. रगडे वा जाव अणासेविए वा णो ठाणं वा सेज् वा णिसीहियं वा चेए ज्जा / एवं वहवे साहम्मिया एगं साहम्मिणी बहवे साहम्मिणीओ // 654 // से भिक्खू वा 2 से जं पुण उवस्सयं जाणिज्जा असंजए भिक्खुपडियाए बहवे समण-माहण-अतिहि. किवण-वणीमए पगणिय 2 समुहिस्स पाणाई भूयाई जीवाई सत्ताई जाव चेएइ तहप्पगारे उवस्सए अपुरिसंतरगडे जाव अणासेविए णो ठाणं वा सेज्ज वा णिसीहियं वा चेएज्जा, अह पुण एवं जाणिज्जा पुरिसंतरगडे जाव आसे विए पडिलेहित्ता पमज्जित्ता तओ संजयामेव ठाणं वा सेज्जं वा मिसीहियं वा चेए ज्जा // 655 // से भिक्खू वा 2 से जं पुण उवस्सयं जाणिज्जा, असंजए भिक्खुपडियाए कडिए वा, उत्कंबिए वा, छण्णे वा, लिचे वा, घटे वा, मढे वा, संमढे वा, संप